ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
मंदिर में पगड़ी और पोशाक सेवा के लिए संपर्क करें।
"अतिथि देवो भवः"
मंदिर द्वार समय- समय पर सूक्ष्म एवं विशाल भंडारो का आयोजन होता है। अन्न सेवा के लिए संपर्क करें।
अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे!। ज्ञान वैराग्य-शिद्ध्यर्थं भिक्षां देहिं च पार्वति॥
मंदिर की रसोई "माँ गौरी की रसोई" मंदिर परिसर में ही है, यहां बैठकर खाने की उचित व्यवस्था है।
"अतिथि देवो भवः"
मंदिर परिसर में 24 कमरो के अतिथिगृह है तथा तीन हॉल की सुविधा भी उपलब्ध है।